Prastav: प्रस्ताव का अर्थ, आवश्यक तत्व और वैधानिक नियम

प्रस्ताव का अर्थ , आवश्यक तत्व

सर्वप्रथम हम जानते हैं कि प्रस्ताव क्या है:

Prastav: धारा 2 (ए) के अनुसार “जब एक व्यक्ति किसी दुसरे व्यक्ति के सामने अपनी इच्छा किसी कार्य को करने या न करने के लिए इस उद्देश्य से प्रकट करता है की दुसरे व्यक्ति की सम्मति उस कार्य को करने या न करने के सम्बन्ध में। प्राप्त हो जाए, तो कहा जाता है की उसने प्रस्ताव किया है |

जब एक पक्षकार किसी दूसरे पक्षकार के समक्ष किसी कार्य को करने या न करने की अपनी इच्छा इस उद्देश्य से प्रकट करता है कि दूसरे पक्षकार की सहमति प्राप्त हो, तो यहां एक पक्षकार द्वारा दूसरे पक्षकार के समक्ष इच्छा प्रकट करना ही प्रस्ताव कहलाता है।

नोट: प्रस्ताव स्वीकार करने से पहेले व्यक्ति को कहा जाता है:

  1. प्रस्तावक (प्रस्तावक )> जो व्यक्ति प्रस्ताव करता है |
  2.   प्रस्तावग्राहिता (offeree )> जिस व्यक्ति के सामने प्रस्ताव रखा जाता है |

नोट: प्रस्ताव स्वीकार करने के बाद व्यक्ति को कहा जाता है:

1।       वचनदाता (प्रमोटर )> प्रस्ताव स्वीकार किया जा रहा है के बाद प्रस्तावक को “बहुमुखी” कहा जाता है |

2।       वचनग्रहीता  > प्रस्ताव स्वीकार करने वाले व्यक्ति को “वचनग्रहीता” कहा जाता है |

 

प्रस्ताव को एक उदहारण हम से समझ सकते हैं:

रमेश, महेश से कहता है की में आपकी कार 10 लाख रुपए में खरीदना चाहती है हुड | क्या आप अपनी कार मुझसे बचेंगे

यहाँ पर रमेश अपनी इछा महेश के समक्ष इस उद्देश्य से प्रकट कर रहा है की वह उसकी अमानत के अनुसार (यानी 10 लाख) ‘कार’ उसे बचने की हां भर दे | यहाँ रमेश दवारा महेश को किया गया प्रस्ताव है |


              महेश  ———-> प्रस्ताव ——–>  रमेश

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प्रस्ताव के वैधानिक नियम इस प्रकार है:

 

  • प्रस्ताव के लिए कम से कम दो पक्षकार का होना आवश्यक है |
  • प्रस्ताव सकारात्मक या नकारात्मक हो सकता है |
  • प्रताव वैधानिक सम्बन्ध स्थापित करने के उद्देश्य से किया जाता है |
  • प्रस्ताव स्पष्ट ओर गर्भित हो सकता है |
  • प्रस्ताव विशिष्ट या साधारण हो सकता है |
  • प्रस्ताव का उद्देश्य प्रस्ताव ग्रहीता की सम्मति प्राप्त करना होता है |
  • प्रस्ताव लिखित या मो और किसी को भी टाइप का हो सकता है |
  • प्रस्ताव वीडियो या ऑड हो सकता है |
  • प्रस्ताव के वेध होने के लिए यह परम आवश्यक है की प्रस्ताव की विशेष शर्तो को प्रस्ताव के साथ ही बता देना चहिए |
  • प्रस्ताव में एसी कोई भी बात नहीं होगी, जिससे दूसरा पक्षकार प्रस्ताव का उत्तर देने के लिए बाध्य हो जाएगा |

 NCERT Course के अनुसार प्रस्ताव के वैधानिक नियम

 प्रस्ताव सम्बन्धी वैधानिक नियम (Legal Provision related with Proposal)

प्रस्ताव सम्बन्धी प्रमुख प्रावधान निम्नानुसार है:

(1) प्रस्ताव के लिये कम से कम दो पक्षकार होने चाहिये

(2) प्रस्ताव सकारात्मक अथवा नकारात्मक हो सकता है।

(3) स्पष्ट अथवा गर्मित हो सकता है। विशिष्ट या साधारण हो सकता है।

(4) प्रस्ताव वैधानिक सम्बन्ध स्थापित करने के लिये किया जाता है।

(5) प्रस्ताव की शर्तें निश्चित होनी चाहिए।

(6) प्रस्ताव तभी किया हुआ माना जाता है जबकि प्रस्ताव उस व्यक्ति जानकारी में आ जाता है, जिसको प्रस्ताव किया गया है। प्रस्ताव की जानकारी बिना जब कोई व्यक्ति स्वीकृति दे देता है तो यह स्वीकृति नहीं मानी जा सकती है। प्रस्ताव लिखित, मौखिक, सांकेतिक, आमने-सामने, टेलीफोन पर रेडियो, टीवी द्वारा समाचार पत्र से या हैण्डबिल से हो सकता है। यहाँ तक कि पशु-पक्षियों के माध्यम से भी किया जा सकता है परन्तु न्यायालय टेप किये हुए (Tape recorded) प्रस्ताव को वैध प्रस्ताव नहीं मानते है। प्रस्ताव में ऐसी कोई बात नहीं होनी चाहिए जिससे दूसरा पक्षकार पक्षकार प्रस्ताव का उत्तर देने के लिये बाध्य हो जाए

(7) प्रस्ताव करने की इच्छा को प्रस्ताव नहीं माना। जा सकता। अतः नीलामी का विज्ञापन प्रस्ताव की इच्छा है। इसी तरह प्रस्ताव का निमंत्रण में भी प्रस्ताव नहीं माना जा सकता है। सूचीपत्र, मूल्यपर्ची, होटन का मेन्यू कार्ड, पूछताछ का उत्तर कम्पनी का विवरण रेल्वे का टाइम टेबल बीमा का विज्ञापन, रिक्त पदों के लिये आवेदन की सूचना आदि प्रस्ताव के निमंत्रण के उदाहरण में ये प्रस्ताव नहीं है।

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