जानिये 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में | 12 ज्योतिर्लिंग के नाम और स्थान

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भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग की कथा

जानिये 12 ज्योतिर्लिंग के बारे में

पुराणों में कहा गया है कि जब तक महादेव के इन 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन नहीं कर लेते, आपका आध्यात्मिक जीवन पूर्ण नहीं हो सकता ।

12 jyotilringa ki kahani

1. सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा व महत्व 

भारत का सबसे प्रसिद्ध और बड़ा ज्योतिर्लिंग है। सोमनाथ गुजरात में स्थित सोमनाथ भक्तों की श्रद्धा का केन्द्र है, ये ज्योतिर्लिंग सिर्फ पवित्र ही नहीं, बल्कि बहुत मूल्यवान भी है, इस ज्योतिर्लिंग को 16 बार तोड़ा गया है और फिर बनाया गया है, सोमनाथ की कहानी काफी रोचक है, ऐसा कहा जाता है चंद्र ने राजा दक्ष की सभी 27 बेटियों के साथ विवाह किया था, लेकिन प्रेम वे सिर्फ रोहिणी से ही करते थे, इसके चलते दक्ष की बाकी बेटियाँ हमेशा मायूस और उदास रहती थी।

एक दिन राजा दक्ष के सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने चंद्र को श्राप दिया कि वे अपनी सारी चमक खो देंगे, इस श्राप के असर से चंद्र ने अपनी रोशनी खो दी और पूरा संसार अंधकार में डूब गया, परिस्थितियां बिगड़ते देख, सभी देवताओं ने दक्ष से आव्हान किया कि वो चंद्र को माफ कर दें, काफी प्रयासों के बाद दक्ष ने कहा अगर चंद्र भगवान शिव की कठोर तपस्या करेंगे तो उनको अपना प्रकाश पुनः वापस हासिल हो जाएगा, इसके तुरन्त बाद चंद्र ने घोर तपस्या की जिसके चलते भोलेनाथ प्रसन्न हुए और उन्होंने चंद्र को उसका प्रकाश  वापस लौटा दिया। यहीं से स्थापना हुई पहले ज्योतिर्लिंग सोमनाथ की ।

2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की कहानी

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश में स्थित है, ये देश का दूसरा प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है, इस ज्योतिर्लिंग की कहानी इस प्रकार है- प्राचीन काल में बताया जाता है कि एक बार माता पार्वती और भगवान शिव भी दुविधा में फंस गए थे, दोनों इस बात का निर्णय ही नहीं कर पा रहें थे कि पहले शादी गणेश की हो या कार्तिकेय की ? फिर दोनों ने मिलकर एक प्रतियोगिता आयोजित की।

इसके अनुसार गणेश और कार्तिकेय में से जो भी सबसे पहले संपूर्ण धरती का चक्कर लगाकर आएगा, उसकी शादी पहले की जाएगी। इसके तुरंत बाद कार्तिकेय अपने मोर पर निकल पड़े भ्रमण के लिए, वहीं गणेश ने माता पार्वती और शिव के इर्द-गिर्द एक चक्कर लगा लिया। पूछे जाने पर गणेश ने बोला कि उनके लिए उनके माता- पिता ही संसार है, इसलिए उन्होंने उनका चक्कर लगा लिया। ये सुन माता पार्वती और भगवान शिव इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने गणेश का विवाह विश्वरूपम की दोनों बेटियां रिद्धि और सिद्धि से करवा दिया। ये देख कार्तिकेय को बहुत बुरा लगा और उन्होंने निर्णय किया कि वो कभी शादी नहीं करेंगे, इसके बाद वे श्री सैला पहाड़ की तरफ निकल पड़े और अपनी आगे की जिन्दगी वहीं व्यतीत की । जब माता पार्वती और शिव को इसके बारे में जानकारी मिली तो वो दोनों उनसे मिलने पहुंच गए माता पार्वती उनसे पूर्णिमा के दिन मिली, वहीं भगवान शिव उनसे अमावस्या के दिन मिलने पहुंचे, इस तरीके से स्थापना हुई मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की ।

3. महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

भारत का तीसरा प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है महाकालेश्वर । ये ज्योतिर्लिंग उज्जैन के रुद्र सागर झील के समीप बना हुआ है ऐसी मान्यता है कि यहाँ कभी चंद्रसेन नाम के राजा का शासन हुआ करता था वो भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था और वहां की प्रजा भी महादेव को पूजती थी, एक बार राजा रिपुदमन ने चंद्रसेन के महल पर हमला बोल दिया। उसके साथ मायावी राक्षस दूषण भी था जो कभी अदृश्य हो सकता था, उस राक्षस ने वहां की प्रजा को प्रताड़ित किया और पूरे महल को बर्बाद कर दिया तब वहां की प्रजा ने भगवान शिव को याद किया और मदद की गुहार लगाई।

ऐसा कहा जाता है कि वहां स्वयं महादेव ने दर्शन दिए और वहां की प्रजा की रक्षा की इसके बाद उज्जैन के लोगों की प्रार्थना सुनकर भोलेनाथ ने निर्णय किया कि वे उज्जैन नहीं छोड़ेंगे, इस प्रकार से उत्पन्न हुआ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की ।

4. ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश में स्थित है, ये ज्योतिर्लिंग नर्मदा के पास शिवपुरी द्वीप पर स्थापित है, भगवान पुराणों के मुताबिक यहां पर एक बार देवताओं और असुरों के बीच बड़ा युद्ध हुआ जिसमें असुरों ने देवताओं को परास्त कर दिया। इसके बाद सभी ने भगवान से

प्रार्थना की वो आएं और उनकी रक्षा करें, देवताओं की गुहार स्वीकार करते हुए भगवान शिव वहां आए और उन्होंने उन राक्षसों का संहार किया। इस प्रकार से वहां ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई।

5. वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा

झारखंड में स्थित है ये प्रसिद्ध वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग। ऐसी मान्यता है कि यहां पूजा | करने से आपके सभी कष्टों का निवारण हो जाता है । इस ज्योतिर्लिंग की कहानी महान पंडित और राक्षस रावण से जुड़ी हुई है, ऐसा कहा जाता है कि एक बार दशानन हिमालय पर भगवान की बहुत कठोर तपस्या कर रहा था, वो अपनी सभी सिर एक-एक करके भगवान शिव को अर्पित कर रहा था, जैसे ही वो अपना नौवा सिर भेंट कर रहा था, तभी महादेव प्रकट हुए और रावण से कोई भी वरदान मांगने को कहा, तब रावण ने कहा कि वो चाहता है कि वो उसके साथ लंका नगरी चले और वहां जाकर स्थापित हो जाएं।

अब भोलेनाथ ने रावण की ये प्रार्थना स्वीकार की, लेकिन साथ में ये शर्त भी रख दी की अगर ये शिवलिंग उसने बीच रास्ते में कहीं भी जमीन पर रख दिया तो वो हमेशा के लिए वहीं स्थापित हो जाएंगे, रावण ने ये शर्त शिव के इस निर्णय से देवता बहुत दुखी और चिंतित थे क्योंकि वे स्वीकार की और निकल पड़ा ज्योतिर्लिंग लेकर लंका की ओर भगवान भोलेनाथ को लंका जाते हुए नहीं देख सकते थे, फिर सभी देवता विष्णु के पास गए और उनसे समाधान निकालने की गुहार लगाई।

ऐसा कहा जाता है, तब विष्णु ने ऐसी लीला रची की बीच रास्ते में रावण को लघुशंका आई और वो शिवलिंग एक ग्वाले को सौपकर चला गया, परन्तु उस ग्वाले ने उस शिवलिंग को वहीं जमीन पर रख दिया और शर्त अनुसार वो ज्योतिर्लिंग वहीं स्थापित हो गया। कहते हैं उस ग्वाले के रूप में स्वयं भगवान विष्णु आए थे ये लीला रचने के लिए।

6. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की कथा

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की इतिहास में बहुत मान्यता है, ये ज्योतिर्लिंग पुणे के शहाद्रि इलाके में स्थित है, इस ज्योतिर्लिंग की कथा जुड़ी है कुंभकरण के पुत्र भीम से, ऐसा कहा जाता है कि जब भीम को ये पता चला कि उसके पिता को मौत के घाट भगवान विष्णु ने राम के अवतार में उतारा है, वो उस बात से बहुत क्रोधित हुआ और उसने बदला लेने की ठानी, तब उसने खुद पर खूब अत्याचार किए और कठोर तप किया जिसके चलते ब्रह्माजी प्रसन्न हुए और उसे उसकी इच्छा अनुसार काफी सारी दिव्य शक्तियाँ प्रदान की। वरदान प्राप्ति के तुरंत बाद भीम ने पूरी धरती का सर्वनाश करना शुरू कर दिया । उसने भगवान शिव के परमभक्त से भी युद्ध किया और उसे सलाखों के पीछे डाल दिया । धरती पर ये अत्याचार देख सभी देवता काफी परेशान और विचलित हो गए। उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे इस राक्षस का संहार करें, तब महादेव और भीम के बीच में भीषण हुआ और महादेव ने उसे धूल चटा दी, तब सभी देवतागण के आग्रह पर वे वहीं रह गए और उनको मिल गया नया नाम- भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग । मान्यता तो ये भी है कि जो पसीना भगवान शिव का युद्ध के समय जमीन पर गिरा था उसी की वजह से वहां भीम नदी उत्पन्न हुई ।

7. रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग की कथा

सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और चर्चित ज्योतिर्लिंग है रामेश्वरम | तमिलनाडु में स्थित इस ज्योतिर्लिंग को रामायण से जोड़कर देखा जाता है । भगवान राम जब माता सीता की खोज करते हुए रामेश्वरम पहुंचे, तब वहाँ थोड़ी देर विश्राम के लिए रुक गए। वहां जैसे ही वो जल पीने के लिए नदी के पास गए उन्हें जल पीने से रोक दिया गया और एक आकाशवाणी हुई, जिसके माध्यम से कहा गया कि वो जल उनकी इजाजत के बिना नहीं पी सकते।

इसके बाद भगवान ने मिट्टी से एक शिवलिंग का निर्माण किया और उसकी पूजा अर्चना की। उनकी पूजा से प्रसन्न हो कर भोलेनाथ ने अपने दर्शन दिए और राम ने उनसे विजय होने का आशीर्वाद मांगा जिससे वे अहंकारी रावण का वध कर सके । भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया और स्वयं वहां रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।

8. घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग की कहानी

धृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है, इसका निर्माण अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था ऐसा कहा है कि इस ज्योतिर्लिंग के तार जुड़े है एक विवाहित जोड़े सुधर्म और सुदेशा की । इस विवाह में सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था, बस दुःख इस बात का था कि उनकी कोई संतान नही थी, तब सुदेशा ने निर्णय किया कि सूर्धम की शादी उसकी बहन धूष्म से करवा दी जाए, दोनों के शादी होते ही उनको एक प्रतिभावाहन बालक हुआ, लेकिन सुदेशा को ये बात खटकने लगी और उसने मौका मिलते ही उस बालक को झील में फेक दिया, जहां सुधम ने 101 शिवलिंग अर्पित किए थे ।

ये खबर मिलते ही सुर्धम ने झील के पास जाकर भोलेनाथ को याद किया और अपने बालक को वापस पाने की गुहार लगाई कहते हैं महादेव ने उनकी पुकार सुनी और सुर्धम को उसका बच्चा भी लौटा दिया । सिर्फ यहीं नहीं सुर्धम ने सुदेशा के लिए भी माफी मांगी और भोलेनाथ से उसे माफ करने को कहा। ये देख भोलेनाथ बहुत प्रसन्न हो गए और उन्होंने सुर्धम को आशीर्वाद दिया। उसी स्थान पर भगवान शिव घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए ।

9. नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

कृष्ण नगरी द्वारका में स्थित है नागेश्वर ज्योतिर्लिंग । ऐसी मान्यता है कि ये ज्योतिर्लिंग सभी प्रकार के जहर के प्रभाव से सुरक्षित है, ये ज्योतिर्लिंग भी एक भक्त की कृपा से ही द्वारका में स्थापित हुआ । एक बार दारुका नाम के राक्षस ने शिवभक्त सुप्रिया को अपने कब्जे में ले लिया।

उसके साथ राक्षस ने और भी काफी सारी महिलाओं को बंदीगृह में बंद करके रखा था, तब सुप्रिया ने सबको बोला कि वो ओम नमः शिवाय का जाप करें जैसे ही दारुका को इस बात की भनक लगी वो निकल पड़ा सुप्रिया को मारने के लिए, लेकिन तभी महादेव प्रकट हुए और उन्होंने उस दुष्ट राक्षस का संहार किया । इस प्रकार द्वारका की धरती पर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई ।

10. काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा

वाराणासी की घाटों पर गंगा के समीप स्थित है ये विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति अपने जीवन की आखिरी सांस यहां लेता है उसे सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है, इस ज्योतिर्लिंग के विषय में एक नहीं बल्कि अनेक कथाएं चर्चा का केन्द्र है। सबसे चर्चित कथा है ब्रह्माजी और विष्णुजी के बीच हुए मतभेद की।

ऐसा कहा जाता है कि एक बार ब्रह्माजी और विष्णुजी में इस बात पर बहस हो गई कि कौन ज्यादा बड़ा है, तब ब्रह्माजी अपने वाहन पर निकल कर स्तम्भ का ऊपरी भाग खोजने लगे, वहीं विष्णुजी चले गए निचला भाग खोजने के लिए, तभी उस स्तम्भ में से प्रकाश निकला और महादेव प्रकट हुए. अब भगवान विष्णु तो अपने कार्य में असफल रहे, लेकिन ने झूठ बोला कि उन्होंने ऊपरी छोर खोज लिया। इस बात से भगवान शिव काफी क्रोधित हो गए और उन्होंने ब्रह्माजी को श्राप दिया कि अब उन्हें कोई नहीं पूजेगा ऐसा कहा जाता है कि महादेव स्वयं वहां काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।

11. त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा

नाशिक में स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की बहुत मान्यता है, ऐसा कहा जाता है कि गोदावरी नदी का अस्तित्व भी इस ज्योतिर्लिंग के वजह से हुआ है, शिव पुराण के अनुसार एक बहुत ही प्रसिद्ध गौतम ऋषि हुआ करते थे, उनको भगवान वरुण से ये वरदान मिला था कि उनके पास कभी भी अनाज की कमी नहीं होगी, लेकिन दूसरे देवताओं को इस बात से जलन होने लगी तो उन्होंने एक गाय को उनके अनाज के ऊपर छोड़ दिया, उस गाय को देख ऋषि ने उस गाय को मार दिया। उनको बाद में इस बात का दुःख हुआ और उन्होंने भगवान शिव की अराधना की, तब महादेव ने गंगा देवी को कहा की वे ऋषि के इलाके से होकर निकल, जिससे उनके सभी पाप धुल जाएं । इस प्रकार से वे नाशिक में त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।

12. केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा

चारों धाम में से सबसे प्रमुख धाम माना जाता है केदारनाथ उस पवित्रधाम में स्थापना हुई थी केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की । भगवान शिव केदारनाथ में सदैव निवास करते हैं और जो भी वहां जाता है उसकी सभी मनोकामना पूरी होती है ।

इस ज्योतिर्लिंग के सिलसिले में एक कथा काफी चर्चित है, ऐसा कहा जाता है भगवान ब्रह्मा के दो पुत्र थे नर और नारायण । इन दोनों ने द्वापर युग में कृष्ण और अर्जुन के रूप में जन्म लिया था। नर और नारायण भगवान भोलेनाथ के बड़े भक्त थे, इसलिए उन्होंने बद्रीनाथ में एक स्वयं का शिवलिंग बनाया था और उसके सामने बैठकर दोनों घोर तपस्या करते थे ।

ऐसा कहा जाता है उस शिवलिंग पर रोज भगवान शिव दर्शन दिया करते थे, एक दिन भोलेनाथ उन दोनों बालकों से इतने प्रसन्न हो गए कि उन्होंने दोनों से कहा कि वो कोई वरदान मांगे, तब दोनों ने कहा कि आप बस इस स्थान पर सदैव के लिए बस जाएं। भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूरी की और इस प्रकार से केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई।

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