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” Vipanan meaning in hindi, विपणन का अर्थ एवं परिभाषा, विपणन का महत्व और विपणन के कार्य “ | विपणन की पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए आर्टिकल पूरा पढिये |
जब से मानव ने अपनी आवश्यकता से अधिक वस्तुओं का उत्पादन या निर्माण करना प्रारम्भ किया है तभी से विनिमय कार्य का श्रीगणेश हो गया था। मुद्रा के आविष्कार के बाद वही विनिमय कार्य मुद्रा के माध्यम से किया जाने लगा और विक्रय कार्य का जन्म हो गया है। विक्रम वर्ष में धीरे-धीरे जब उत्पाद के स्थान पर ग्राहक / उपभोक्ता का महत्व बढ़ने लगा तब विपणन त् बीजारोपण हो गया। वही बोज आज विपणन का वट वृक्ष बन गया है। प्रत्येक व्यावसायिक संस्था के जीवन में ही नहीं अपितु प्रत्येक गैरव्यावसायिक संस्था के जीवन में भी विपणन कार्य अपरिहार्य बन गया है। वस्तुत: आधुनिक युग विपणन युग बन चुका है।
आधुनिक युग के प्रत्येक मानव का जीवन विपणन से अछूता नहीं है। विपणन मानव जाति के प्रत्येक पहलू को प्रभावित करता है। प्रातःकाल से लेकर देर रात तक हम सभी के जीवन को विपणन क्रियाएँ प्रभावित करती है तथा हम भी विपणन क्रियाओं को प्रभावित करते हैं। प्रात काल उठते ही हम किसी नामी कम्पनी के द्वारा निर्मित टूथपेस्ट से दाँतों को साफ कर सकते हैं, रेजर-ब्लेड से दाढ़ी बना सकते है|
किसी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की कम्पनी द्वारा निर्मित साबुन, शैम्पू, तेल, क्रीम आदि का उपयोग करके नहा-धो सकते है, किसी ख्याति प्राप्त कम्पनी द्वारा निर्मित वस्त्रों एवं जो को धारण कर सकते हैं, माइक्रोवेव ओवन में तैयार नाश्ता प्राप्त कर सकते हैं तथा आधुनिक संयंत्र में बनी चाय-कॉफी पी सकते हैं और साथ में विश्वस्तरीय समाचार पत्र में समाचार पढ़ सकते हैं या टीवी चैनल पर समाचार देख-सुन सकते हैं शानदार एवं आरामदायक कार में बैठकर काम पर जा सकते हैं और अन्तर्राष्ट्रीय प्रमापों के अनुरूप अपना दिन भर का कार्य सम्पन्न कर घर लौटकर शानदार -शाम गुजार सकते हैं। इन सभी में प्रभावकारी विपणन की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।
Vipanan meaning in hindi

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Vipanan meaning in hindi |
विपणन : अर्थ एवं परिभाषाएँ
Vipanan meaning in hindi को अनेक तरीकों से परिभाषित किया गया है। कुछ ने इसे एक ऐसी मानवीय के रूप में परिभाषित किया है जिसका उद्देश्य मूल्य के बदले उत्पादों के विनिमय से ग्राहकों क सन्तुष्ट करना है।
कुछ अन्य विद्वानों ने इसे एक ऐसी क्रिया के राज्य में परिभाषित किया है जिसके द्वारा उत्प में विभिन्न प्रकार की उपयोगिताओं (Utilities) सृजन किया जाता है। कुछ और अन्य विद्वानों इसे एक ऐसी क्रिया के रूप में परिभाषित किया है जो समाज को उच्च जीवन-स्तर प्रथ “belivery of standard of living) करती है।
ये सभी परिभाषाएँ विपणन को पूर्णतः व्यापक अर्थ प्रदान नहीं कर पाती है। अतः विप क्षेत्र के कुछ विद्वानों ने विपणन शब्द को व्यापक अर्थ के रूप में परिभाषित किया है। उनमें से प्रमुख परिभाषाएँ यहाँ नीचे दी जा रही हैं :
फिलिप कोटलर (Philip Kotler) के अनुसार, “विपणन एक सामाजिक प्रबन्धकीय प्रक्रिया है जिसके द्वारा लोग एवं लोगों के समूह उत्पादों का सृजन कर मूल्य के बदले धिनिमय कर उन्हें प्राप्त करते हैं, जिनकी उन्हें आवश्यकता एवं इच्छा है।’
अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन (American Marketing Association)
की परिभाषा समिति ने पहली बार 1960 में विपणन शब्द को परिभाषित किया था। उसके बाद भी इस समिति ने इस शब्द की कई नई परिभाषाएँ स्वीकार की गई है। सन् 2004 और 2007 में भी इस परिभाषा समिति ने नई परिभाषा अपनाई थी जो निम्नानुसार है:
अमेरिकन मार्केटिंग एसोसिएशन (AMA, 2004) के अनुसार, “विपणन एक संगठनात्मक कार्य एवं प्रक्रियाओं का समूह है, जिनका उपयोग ग्राहकों के लिए उपयोगी उत्पादों के सृजन, संचारण एवं प्रदत्त करने तथा ग्राहक सम्बन्धों के प्रबन्धन में इस प्रकार किया जाता है ताकि संगठन तथा उसके हितधारी (stakeholders) लाभान्वित हो सके।
निष्कर्ष (Vipanan meaning in hindi) : इस प्रकार विपणन एक ऐसी सामाजिक एवं प्रबन्धकीय प्रक्रिया है जो मानवीय आवश्यकताओं एवं इच्छाओं को सन्तुष्ट करने वाले उत्पादों/सेवाओं के सृजन, संवर्द्धन, वितरण और विनिमय करने तथा सम्पूर्ण समाज तथा संगठनात्मक हित में ग्राहक सम्बन्धों को चिरस्थायी बनाए रखने में योगदान देती है।
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विपणन के कार्य :
स्टेन्टन (Stanton) ने लिखा है, “जिस प्रकार विपणन कार्य उत्पादन कार्य सम्पन्न होने के बाद प्रारम्भ नहीं होता है ठीक उसी तरह विक्रय कार्य सम्पन्न करने के बाद घी विपणन कार्य सम्पन्न नहीं होता है।”
स्टेन्टन का यह कथन इस बात की ओर स्पष्ट संकेत दे रहा है कि विपणन का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। इसकी क्रियाओं का क्षेत्र माल का उत्पादन प्रारम्भ होने से पूर्व ही आरम्भ हो जाता है और माल के विक्रय होने के बाद तक जारी रहता है। वस्तुतः जब तक उपभोक्ता माल के उपयोग से संतुष्ट नहीं हो जाता है तब तक विपणन का क्षेत्र बना रहता है।
1. बाजार विश्लेषण कार्य –
विपणन कार्य का प्रारम्भ बाजार विश्लेषण के साथ ही होता है। बाजार विश्लेषण करके विपणन प्रबन्धक अपने भावी बाजार के सम्बन्ध में महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ प्राप्त करता ग्राहकों की आवश्यकता, इच्छा, रुचि आदि का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। बाजार में वस्तु की माँग एवं पूर्ति का अध्ययन भी बाजार विश्लेषण के द्वारा ही सम्भव है। । इसके द्वारा विपणन प्रबन्धक अपने
बाजार विश्लेषण के माध्यम से विपणन प्रबन्धक यह भी ज्ञात कर सकता है कि उसके भावी ग्राहक कौन-कौन हो सकते हैं? इसके अतिरिक्त बाजार की प्रतिस्पर्द्धात्मक स्थिति का अध्ययन करने, बाजार वातावरण का अध्ययन करने, ग्राहकों की क्रय शक्ति, आय, क्रय उद्देश्य की जानकारी प्राप्त करने के लिए भी बाजार विश्लेषण करना परमावश्यक है।
2. विपणन संचार कार्य –
संचार कार्य विपणन का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। विपणन कार्य की सफलता इस कार्य के बिना संदिग्ध ही रहती है। अतः प्रत्येक विपणन प्रबन्धक को अपनी संस्था में कुशल विपणन संचार व्यवस्था करनी होती विपणन संचार के लिए विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन, विक्रय कला, प्रचार, विपणन अनुसंधान, सुझाव आदि महत्त्वपूर्ण साधन हैं। इन साधनों से द्विमार्गीय संचार की व्यवस्था की जा सकती है। विज्ञापन, विक्रय कला, प्रचार आदि से संस्था अपने वर्तमान एवं भावी ग्राहकों को आवश्यक संदेश पहुँचाती है जबकि सुझाव तथा विपणन अनुसंधान आदि के माध्यम से ग्राहक वस्तुओं के बारे में अपने विचार तथा शिकायतें संस्था तक पहुँचाते हैं। विपणन प्रबन्धक इसीलिए इन सभी साधनों का उपयोग करके द्विमार्गीय संचार की व्यवस्था करता है।
3. बाजार वर्गीकरण/विभक्तिकरण कार्य –
कोई भी संस्था अपनी किसी एक ही वस्तु से सभी ग्राहकों को संतुष्ट नहीं कर सकती है। कोई भी संस्था सभी थोक व्यापारियों, फुटकर व्यापारियों, पूर्तिकर्ताओं आदि की आवश्यकता की पूर्ति भी नहीं कर सकती है। अतः प्रत्येक संस्था को सम्पूर्ण बाजार में से कुछ विशेष प्रकार के ग्राहकों का ही चुनाव करना चाहिए तथा उन्हीं ग्राहकों को संतुष्ट करने का प्रयास भी करना चाहिए। इससे संस्था की सफलता में कठिनाई उत्पन्न नहीं होती है।
4. उत्पाद नियोजन, विकास एवं विविधिकरण कार्य –
प्रत्येक संस्था ऐसे उत्पादों का निर्माण एवं विपणन करना चाहती है जो ग्राहकों की आवश्यकताओं, इच्छाओं एवं रुचियों के अनुरूप हों। इसके अतिरिक्त, प्रत्येक संस्था अपने उत्पादों की अन्य संस्थाओं से भिन्न पहचान भी बनाये रखना चाहती है। इतना ही नहीं, ग्राहक एवं कभी-कभी संस्था स्वयं भी उत्पादों में परिवर्तन एवं सुधार करना चाहती है। अतः प्रत्येक संस्था को उत्पाद नियोजन एवं विकास का कार्य करना ही पड़ता है।
उत्पाद नियोजन एवं विकास के कार्य में उत्पादों के रंग रूप, आकार, किस्म, डिजाइन, पैकेजिंग, लेबलिंग आदि से सम्बन्धित कार्य सम्मिलित हैं। प्रत्येक संस्था को ये सभी कार्य निरन्तर रूप से करने पड़ते हैं।
वर्तमान परिवर्तनशील युग में कोई भी संस्था बाजार में तब तक नहीं टिक सकती है जब तक कि वस्तुओं में कुछ न कुछ नयापन न दिया जाए। व्यक्ति सभी वस्तुओं में कुछ न कुछ नया देखना चाहता है।
5. मूल्यांकन या मूल्य निर्धारण कार्य –
विपणन का एक महत्त्वपूर्ण कार्य मूल्यांकन कार्य है। विपणन में होने वाले विनिमयों या क्रय-विक्रय का लाभ लागत विश्लेषण (Cost benefit analysis) करना ही मूल्यांकन है। इसी विश्लेषण के आधार पर वस्तुओं के उचित मूल्यों का निर्धारण किया जाता है।
मूल्य निर्धारित करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वस्तुओं से ग्राहकों को उस मूल्य के चुकाने से कितना लाभ या हित हो रहा है। यदि चुकाये जाने वाले मूल्यों की तुलना में ग्राहकों को लाभ या हित कम हो तो वे वस्तु क्रय करना पसन्द नहीं करेंगे। ऐसी स्थिति में व्यवसायी को अपनी लागतों में कमी करके या लाभों की दरों में कमी करके मूल्यों को कम करना होगा। किन्तु, यदि वस्तुओं के लिए चुकाये गये मूल्यों की तुलना में ग्राहकों को लाभ अधिक होता है तो व्यवसायी भविष्य में मूल्य वृद्धि भी कर सकता है और अधिक लाभ कमा सकता है।
विपणन का महत्व :
आधुनिक समय में प्रभावकारी विपणन का महत्त्व बहुत अधिक बढ़ गया है। आज एक ओर माल की पूर्ति आवश्यकता से अधिक है, बाजार में भीषण प्रतिस्पर्द्धा विद्यमान है व दूसरी ओर ग्राहकों की रुचि एवं आवश्यकताएँ निरन्तर बदल रही हैं। उपभोक्ता व्यवहार एवं आवश्यकता क्रम में भी अन्तर होता जा रहा है। परन्तु अधिकांश देशों में साधन सीमित हैं और राष्ट्रीय आवश्यकताएँ अनेक हैं। ऐसे में प्रभावकारी विपणन का महत्त्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। प्रभावकारी विपणन के द्वारा सीमित साधनों को आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के लिए उपयोग किया जा सकता है। और देश के तीव्र आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
विपणन का महत्त्व केवल व्यवसायियों के लिए ही नहीं है बल्कि सम्पूर्ण समाज एवं राष्ट्र के लिए है। अतः हम अध्ययन की सुविधा के लिए इसके महत्त्व को निम्न प्रकार से वर्गीकृत कर सकते
- 1. व्यवसायियों के लिए महत्त्व
- 11. ग्राहकों के लिए महत्त्व;
- 111. समाज के लिए महत्त्व तथा
- IV राष्ट्र के लिए महत्त्व ।
1. व्यवसायियों के लिए महत्त्व या लाभ :
व्यवसायियों के लिए विपणन कार्य का महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रभावकारी विपणन व्यवस्था के बिना कोई भी संस्था आधुनिक समय में विकसित नहीं हो सकती है। आधुनिक प्रतिस्पर्द्धात्मक युग में सम्पूर्ण संस्था का अस्तित्व एवं विकास हो कुशल विरणन व्यवस्था पर निर्भर करता है। आयरे (E.C. Eyre) ने ठीक ही लिखा है, “विपणन किसी भी लाभकारी उपक्रम का वह कार्य है जो उसकी सफलता के लिए जीवन तत्त्व है। प्रभावकारी विपणन के अभाव में उपक्रम ही समाप्त हो जायेगा।” संक्षेप में, व्यवसायियों के लिए प्रभावकारी विपणन प्रबन्ध के महत्त्व को नीचे कुछ शीर्षकों में स्पष्ट किया गया है।
1. प्रतिस्पर्द्धा में अस्तित्व बनाये रखने के लिए वर्तमान प्रतिस्पर्द्धात्मक बाजारों में अस्तित्व बनाये रखने के लिए प्रत्येक संस्था को विपणन की प्रभावकारी व्यवस्था करनी पड़ती है। प्रत्येक संस्था प्रभावकारी विपणन व्यूहरचना निर्धारित करके व्यावसायिक प्रतिस्पद्धों का आसानी से मुकाबला कर सकती है।
2. अधिक विक्रय प्रभावशाली विरणन व्यवस्था में ग्राहकों को आधार विन्दु मानकर उनकी आवश्यकता एवं रुचि के अनुरूप वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। अतः माल का आसानी से अधिक विक्रय हो जाता है।
3. अधिक उत्पादन अधिक विक्रय के परिणामस्वरूप ही अधिक उत्पादन आवश्यकता पड़ती है। फलतः संस्था अपेक्षाकृत अधिक उत्पादन कर पाती है व वृहद्स्तराय उत्पादन के लाभों को प्राप्त कर लेती है।
4. प्रति इकाई लागत में कमी – प्रभावकारी विपणन के परिणामस्वरूप जब वृहद्स्तरीय उत्पादन होने लगता है तो इससे अन्ततोगत्वा प्रति इकाई लागत में कमी आती है।
5. ग्राहकों की आवश्यकताओं के अनुरूप उत्पादों का निर्माण– प्रभावशाली विपणन व्यवस्था विपणन अनुसंधान पर आधारित होती है। परिणामस्वरूप, इससे ग्राहकों की आवस्यकताओं इच्छाओं, रुचियों आदि का समुचित ज्ञान हो जाता है। इसी कारण प्रत्येक संस्था उन उत्पादों के निर्माण पर ध्यान दे सकती हैं, जिन्हें ग्राहक पसन्द करते हैं। इतना ही नहीं, इन्हीं अनुसंधान निष्कर्षो के आधार पर संस्थाएँ अपने विद्यमान उत्पादों में भी ग्राहकों की आवश्यकताओं, सुविधाओं तथा रुचियों के अनुरूप परिवर्तन भी कर सकती हैं।
6. नवाचारों को प्रोत्साहन प्रभावी विपणन से नवीन उत्पादों को आसानी से बेचा जा सकता है। फलतः संस्थाओं को नवाचार (Innovations) करने एवं अपनाने हेतु प्रोत्साहन मिलता है। फलतः नवीनतम उत्पादों का निर्माण करने एवं पुराने उत्पादों में नवीनता उत्पन्न करने का अवस मिलता है।
7. अधिक लाभ प्रभावकारी विपणन व्यवस्था लाभों की वृद्धि में योगदान देती है। जब माल की माँग बढ़ती है और क्रय लागत पर अधिक उत्पादन करके माँग की पूर्ति की जाती है तो लाभों में नि:संदेह रूप से वृद्धि होती है।
8. मध्यस्थों की प्राप्ति में सहायक • निर्माता या उत्पादक की प्रभावकारी विपणन व्यवस्था मध्यस्थों की प्राप्ति में भी सहायक होती है। उन उत्पादकों को माल के वितरण के लिए अनेक एजेन्ट, थोक व्यापारी, फुटकर व्यापारी तत्काल उपलब्ध हो जाते हैं जिनकी विपणन व्यवस्था ‘ग्राहक प्रधान’ होती है।
9. ख्याति का निर्माण – जब ग्राहकों को उनकी आवश्यकता के अनुसार न्यूनतम लागत पर अच्छी वस्तुएँ उपलब्ध की जाती हैं तो ग्राहकों को संतुष्टि मिलती है। इससे बाजार में सन्तु ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होती है। इससे संस्था का मौखिक प्रचार (Mouth publicity) होता है। मूलतः संस्था की ख्याति बढ़ती है। इसके अतिरिक्त संस्था के विज्ञापन, विक्रय संवर्द्धन योजनाएँ भी संस्था की ख्याति में वृद्धि करती हैं।
10. संस्था का विकास एवं विस्तार प्रभावकारी विपणन व्यवस्था के द्वारा संस्था का स्वतः विकास एवं विस्तार भी होता है। संस्था अपने विद्यमान ढाँचे के अन्तर्गत ही नई वस्तुओं को जोड़ सकती है तथा वर्तमान उत्पादन क्षमता का विस्तार कर सकती है। 11. सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति प्रभावकारी विपणन प्रणाली व्यवसायियों को उनके सामाजिक उद्देश्यों की पूर्ति में सहयोग प्रदान करती है। प्रभावकारी विपणन व्यवस्था में ग्राहकों की
संतुष्टि को आधार माना जाता है। सभी क्रियाएँ ग्राहकों की संतुष्टि के लिए की जाती है। उसकी आवश्यकताओं की संतुष्टि के माध्यम से लाभ कमाने की विचारधारा को ही अपनाया जाता है।
अतः हम कह सकते हैं कि प्रभावकारी विपणन सामाजिक उद्देश्यों एवं दायित्वों की पूर्ति में भी योगदान देता है।
12. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सफलता प्रभावकारी विपणन के अभाव में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सफलता प्राप्त करना असम्भव ही है। विदेशी ग्राहकों की इच्छा, आवश्यकता, रीति रिवाज, प्रतिस्पर्द्धात्मक स्थिति आदि के सम्बन्ध में सूचनाएँ एकत्रित करके उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप वस्तुओं को रंग, रूप, आकार देकर उचित किस्म की वस्तुओं का निर्माण किया जा सकता है। इससे अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में आसानी से स्थान बनाया जा सकता है।
II. उपभोक्ताओं के लिए महत्त्व या लाभ :
प्रभावकारी विपणन व्यवस्था उपभोक्ताओं को भी लाभान्वित करती है। यह उपभोक्ताओं के हितों का पोषण करती है। संक्षेप में, उपभोक्ता निम्नांकित प्रकार से लाभान्वित होता है।
1. आवश्यकताओं की पूर्ति प्रभावकारी विपणन व्यवस्था ग्राहकों की आवश्यकताओं की संतुष्टि को ही अपना प्रथम लक्ष्य मानती है। ऐसी विपणन व्यवस्था में ग्राहकों की आवश्यकताओं, रुचियों, इच्छाओं आदि का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। आयरे (Eyre) के शब्दों में, “प्रभावकारी विपणन व्यवस्था ग्राहकों की आवश्यकताओं का पता लगाती है तथा उन्हें प्रभावकारी एवं लाभकारी तरीके से संतुष्ट करने का प्रयास करती है।”
2. बाजार सूचनाओं की जानकारी प्रभावकारी विपणन व्यवस्था सुदृढ़ संचार व्यवस्था पर आधारित होती है। अतः ग्राहकों को बाजार सम्बन्धी सूचनाएँ प्राप्त होती रहती हैं। बाजार में उपलब्ध वस्तुओं, नवीन उत्पादित वस्तुओं के तथा वैकल्पिक वस्तुओं के सम्बन्ध में यथासमय जानकारी विज्ञापन, विक्रयकर्ता तथा विक्रय संवर्द्धन साधनों से प्राप्त होती ही रहती है।
3. ज्ञान में वृद्धि विपणन की विविध क्रियाओं ने ग्राहकों के ज्ञान में वृद्धि की है। आज विज्ञापन एवं विक्रयकर्ताओं के माध्यम से सामान्य ग्राहक भी वस्तुओं के सम्बन्ध में विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त कर पा रहा है। वह तकनीकी वस्तुओं के उपयोग को भी उनकी सहायता से भली प्रकार समझ पा रहा है। दवाओं के विज्ञापन, घरेलू तकनीकी वस्तुओं के विक्रयकर्ता सामान्य ग्राहकों को सर्वाधिक जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।
4. धन का सदुपयोग प्रभावकारी विपणन व्यवस्था ग्राहकों को घन के सदुपयोग में भी सहायता पहुँचाती है। आज ग्राहक विभिन्न वस्तुओं के रंग, रूप, गुण, मूल्य आदि का भी तुलनात्मक अध्ययन करके अपनी आवश्यकता तथा रुचि के अनुसार वस्तुओं के क्रय का निर्णय लेता है। वह विज्ञापनों द्वारा दी गई सूचनाओं के आधार पर घर बैठकर आसानी से वस्तुओं का तुलनात्मक अध्ययन कर सकता है। फलतः उसके मूल्य का सदुपयोग होता है।
5. विक्रय उपरान्त सेवा का लाभ – वर्तमान समय में, विपणन प्रक्रिया उत्पादन से पूर्व प्रारम्भ होती है तथा विक्रय के बाद भी जारी रहती है। वस्तुतः आज “विक्रय के बाद सेवा” (After sale service) का बड़ा महत्त्व है। इसका प्रमुख कारण वस्तुओं का अधिकाधिक जटिल होना है। ग्राहक वस्तुएँ विशेषकर टिकाऊ या लम्बे समय तक चलने वाली तकनीकी वस्तुएँ खरीदने के बाद उनके उपयोग या प्रयोग में अनेक कठिनाइयाँ अनुभव करता है। गलत तरीकों से उपयोग के कारण या मामूली से तकनीकी दोष के कारण वस्तुओं का कुछ दिनों के बाद उपयोग असम्भव हो जाता है। ऐसी स्थिति में उन वस्तुओं में तकनीकी दोषों को दूर करने या बनावट की आन्तरिक कमी को दूर करने या उसके पुर्जे बदलने आदि की आवश्यकता पड़ सकती है।
इसी प्रकार कुछ तकनीकी वस्तुओं के पूजें तो अन्यत्र उपलब्ध भी नहीं होते हैं। इतना ही नहीं, कभी-कभी तो कुछ तकनीकी वस्तुओं की तकनीक विक्रेता के मैकेनिक के अतिरिक्त कोई अन्य व्यक्ति जानता भी नहीं है। ऐसी परिस्थितियों में विक्रय उपरान्त सेवा का बड़ा महत्त्व हो जाता है। प्रभावकारी विपणन व्यवस्था में इस सेवा को महत्त्वपूर्ण स्थान दिया जाता है और ग्राहक लाभान्वित होते हैं।
6. जीवन स्तर में वृद्धि – प्रभावकारी विपणन व्यवस्था ने लोगों को अनेक उपयोगी एवं – आरामदायक वस्तुएँ उपलब्ध की हैं। इससे लोगों के जीवन स्तर में सुधार हो रहा है। वे अधिक सुख-सुविधा से रहने लग गये हैं।
7. यथासमय वस्तुओं की उपलब्धि प्रभावकारी विपणन व्यवस्था के कारण ही आज ग्राहकों को यथासमय सभी वस्तुएँ उपलब्ध हो रही हैं। दिन से लेकर रात तक सभी प्रकार की वस्तुएँ एवं सेवाएँ उसे प्राप्त हो सकती हैं।
8. उचित मूल्य पर वस्तुओं की उपलब्धि प्रभावकारी विपणन व्यवस्था पारस्परिक हितों की वृद्धि करने में सहायता करती है। परिणामस्वरूप, ग्राहकों को वस्तुएँ उचित मूल्य पर उपलब्ध हो रही हैं। प्रतिस्पर्द्धात्मक परिस्थितियाँ व्यवसायियों को प्रतिस्पर्द्धा मूल्यों पर माल उपलब्ध कराने के लिए मजबूर कर रही हैं।
9. यथास्थान वस्तुओं की उपलब्धि प्रभावकारी विपणन व्यवस्था ने आज सभी वस्तुएँ घर-द्वार तक पहुँचाने में सहायता कर दी है। प्रत्येक ग्राहक अपने घर के आसपास ही आवश्यकता की अधिकाँश वस्तुएँ प्राप्त कर सकता है। शहरों में ही नहीं, अब तो अधिकांश कस्बों तथा गाँवों में भी आवश्यकता की अधिकांश वस्तुएँ उपलब्ध होने लगी हैं। यह सब प्रभावकारी विपणन व्यवस्था का ही परिणाम है।
10. आराम एवं सुविधा – कुशल विपणन व्यवस्था के कारण ही आज प्रत्येक व्यक्ति अपेक्षाकृत अधिक आराम एवं सुविधा प्राप्त कर पा रहा है। घरों में आराम एवं विलासिता के अनेक साधन है। मनोरंजन के विविध साधन उपलब्ध हो रहे हैं। गृहणियों को अपने कार्य में विविध प्रकार की सुविधाएँ उपलब्ध हो पा रही हैं।
111. समाज के लिए महत्त्व या लाभ :
प्रभावकारी विपणन से सम्पूर्ण समाज भी लाभान्वित होता है। समाज की दृष्टि से विपणन का महत्त्व निम्नांकित कारणों से है :
1. रोजगार में वृद्धि विपणन कार्य से ही रोजगार में वृद्धि हुई है। आज प्रत्येक देश में बहुत बड़ी संख्या में लोग थोक व्यापार, फुटकर व्यापार, विज्ञापन, विक्रय कला, विक्रय संवर्द्धन, बाजार अनुसंधान आदि-आदि कार्यों में लगे हुए हैं। इन सब से समाज में रोजगार के साधन उपलब्ध हो रहे है।
इस प्रत्यक्ष रोजगार के अतिरिक्त अप्रत्यक्ष रोजगार भी उपलब्ध होता है। माल की माँग बढ़ने से वस्तुओं का उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है। फलतः अप्रत्यक्ष रोजगार भी उपलब्ध होता है।
2. कम मूल्यों पर उत्पादों की उपलब्धि – प्रभावी विपणन से लागतों में कमी आती है। फलतः समाज को अपेक्षाकृत कम मूल्य पर उत्पाद उपलब्ध होते हैं। फलतः समाज के सदस्य लाभान्वित होते हैं।
3. जीवन-स्तर में वृद्धि – पॉल मजूर के शब्दों में, “विपणन समाज को जीवन-स्तर प्रदान करता है।” विपणन से विद्यमान एवं नवीन उत्पादों के लिए माँग सृजित की जा सकती है। फलतः अधिक अच्छे उत्पादों की यथास्थान, यथासमय, उचित मूल्य पर उपलब्धि से ही लोगों के जीवन-स्तर में वृद्धि होती है। लोग अपेक्षाकृत अधिक आराम, सुख-सुविधा से जीवन गुजारते हैं; बीमारियों एवं अज्ञानता से मुक्ति प्राप्त करते हैं। इससे अधिक अच्छा जीवन-स्तर व्यतीत करने लगे हैं।
4. रूढ़ियों एवं कुरीतियों से मुद्धि प्रभावकारी विपणन व्यवस्था ने लोगों में ज्ञान का विकास एवं विस्तार किया है। लोगों के जीवन स्तर में परिवर्तन हो रहा है, इससे सामाजिक रूढ़ियों एवं कुरीतियों से आसानी से मुक्ति मिलने लगती है। इससे सामाजिक परिवर्तन (Social change) होने लगता है।
5. सामाजिक मूल्यों की पुनःस्थापना विपणन की नवीन विचारधारा ग्राहकों की सन्तुष्टि पर आधारित है। व्यवसायी ग्राहकों को अपनी सभी क्रियाओं का केन्द्र-बिन्दु समझने लगता है और उसकी सन्तुष्टि में ही वह लाभ कमाने की सोचने लगता है।
IV. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्व या लाभ :
कई वर्षों पूर्व एक विद्वान ने कहा था “सभी अर्थव्यवस्था में तब तक कुछ नहीं होता जब तक कि कोई व्यक्ति किसी वस्तु का विक्रय नहीं करता।” अर्थशास्त्री भी यह मानते आ रहे हैं। कि “उपभोग ही उत्पादन की जननी है।” इन सभी कथनों से स्पष्ट है कि विक्रय एवं विपणन अर्थव्यवस्था के विकास के लिए अतिआवश्यक है। विपणन व्यवस्था सम्पूर्ण राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित करती है। राष्ट्रीय दृष्टि से प्रभावकारी विपणन व्यवस्था के लाभों को निम्न शीर्षकों में स्पष्ट किया गया है :
1. देश के साधनों का सदुपयोग – विपणन कार्य उत्पादन से पूर्व प्रारम्भ होता है। विपणन की सफलता के लिए उत्पादन से पूर्व यह ज्ञात किया जाता है कि ग्राहक किस प्रकार की वस्तुएँ किन उद्देश्यों के लिए चाहते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि व्यवसायी उन्हीं एवं उसी प्रकार की वस्तुओं का उत्पादन करते हैं जिनकी ग्राहकों को आवश्यकता होती है। इससे वस्तुएँ व्यर्थ नहीं जाती हैं और देश कर साधनों का सदुपयोग होता है।
2. व्यापार – चक्रों से सुरक्षा – प्रभावकारी विपणन व्यवस्था माल की माँग एवं पूर्ति में संतुलन स्थापित करती है; इसके परिणामस्वरूप तेजी-मंदी का चक्र संतुलित रूप से चलता रहता है।
3. राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि – प्रभावकारी विपणन व्यवस्था राष्ट्रीय उत्पादन में वृद्धि करती है। माल की माँग बढ़ने के परिणामस्वरूप ही ऐसा होता है।
4. सरकारी आय प्रभावकारी विपणन व्यवस्था से माल के उत्पादन, विक्रय तथा आय सभी में ही वृद्धि होती है। अतः सरकार की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष करों से आय में वृद्धि होती है।
5. कृषि एवं सहायक उद्योगों का विकास प्रभावकारी विपणन व्यवस्था से कृषि एवं सहायक उद्योगों के विकास को भी प्रोत्साहन मिलता है। कृषि उत्पादनों से अनेक वस्तुओं का निर्माण करके जीवनोपयोगी वस्तुएँ उपलब्ध की जा सकती हैं। दूसरी ओर कृषि तथा अन्य उद्योगों के लिए आवश्यक साज-सामान उपलब्ध करने के लिए सहायक उद्योगों का विकास होता है। इससे समन्वित विकास सम्भव होता है।
निष्कर्ष – Vipanan Meaning in Hindi
उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि विपणन का समाज के प्रत्येक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान है। इससे व्यवसायी ही लाभान्वित नहीं होता है बल्कि उपभोक्ता, समाज एवं राष्ट्र भी लाभान्वित होता है।
हेल्लो दोस्तों मेरा नाम अर्जुन सिंह है. मै अभी बीकॉम से ग्रेजुएशन कर रहा हूं। मुझे वेबसाइट पर आर्टिकल लिखना और शेयर करना बहुत पसंद है। मुझे जितनी भी नॉलेज है वो आपके साथ हमेशा साझा करता रहूंगा। मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद!
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