रेखांकन का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definitions of Crossing)
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रेखांकन का अर्थ और परिभाषा | रेखांकन के प्रकार |
Rekhankan Kise Kahate Hain
चैक, बैंक ड्राफ्ट अथवा पोस्टल आर्डर के मुखपृष्ठ पर दो समानान्तर रेखाएँ खींचने ‘दो तिरछी रेखाएँ खींचने को रेखांकन कहा जाता है। इनके रेखाकन का उद्देश्य यह अथवा सुनिश्चित करना है कि इनका भुगतान वास्तविक स्वामी को ही मिले और चोरी चले जाने या खो जाने पर इनके गलत आदमियों को भुगतान से सुरक्षा प्रदान करना है। ऐसे विलेखों का भुगतान केवल बैंक खाते में जमा द्वारा ही संभव होता है जिससे जरूरत पड़ने पर भुगतान प्राप्तकर्ता की पहचान की जा सके।
भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम की धारा 123 तथा 124 के अनुसार रेखाकन को इस प्रकार परिभाषित किया गया है-
“जब किसी चैक के मुखपृष्ठ पर दो तिरछी समानान्तर रेखाएँ अथवा ‘एण्ड कम्पनी’ या इनके किसी संक्षिप्त रूप के साथ दो तिरछी समानान्तर रेखाएं खीची हों चाहे उनके बीच ‘अपराक्रम्य’ (Not Negotiable) शब्द लिखा हो अथवा नही तो इसे रेखाकन कहा जाता है।”
चूंकि चैक ग्राहक द्वारा बैंक पर लिखा गया एक मांग पर देय शर्तरहित आदेश है अत उसका लेखक उस पर कोई शर्त तो नहीं लगा सकता पर रेखांकन करके उसके भुगतान कोबी तथा की जाने पर जोखिम से सुरक्षा प्रदान कर सकता है। वह रेखांकन से अपने बैंकर को निर्देश देता है कि इसका भुगतान खिड़की पर न कर बैंक खाते में जमा करके को जब चेक पर दो तिरछी समानान्तर रेखाएँ न खीची हो तो ऐसा चैक खुला चेक अथवा अरेखांकित चैक (uncrossed cheque) होता है और बैंक उसका भुगतान खिड़की पर कर देता है। उसमें कभी-कभी चैक चोरी हो जाने या खो जाने पर गलत आदमी को भुगतान श्री संभावना होती है।
रेखांकन की प्रमुख विशेषताएँ
(Main Characteristics of Crossing)
(1) रेखांकन मुखपृष्ठ पर ही होता है—चैक, ड्राफ्ट अथवा पोस्टल आर्डर का रेखांकन उसके मुखपृष्ठ पर ही होता है। चैक की पीठ पर रेखांकन अवैध एवं अर्थहीन होता है।
(2) मुखपृष्ठ पर दो तिरछी समानान्तर रेखाएँ खींच कर ही रेखांकन किया जाता है।
(3) रेखांकन केवल चैक, ड्राफ्ट अथवा पोस्टल आर्डर का होता है। विनिमय बिल अथवा प्रतिज्ञापत्र का रेखांकन बेमानी होता है। (4) निश्चित शब्दों का प्रयोग—रेखांकन करते समय दो तिरछी समानान्तर रेखाओं के बीच & Co. अथवा Payee’s A/c only अथवा Not Negotiable आदि शब्दों का प्रयोग करना अनिवार्य नहीं है, पर इन शब्दों के प्रयोग से निश्चित निर्देश की पूर्ति होती है।
(5) रेखांकन चैक के मुखपृष्ठ पर बायें कोने पर तिरछी समानान्तर रेखायें खीचकर अथवा चैक के मुखपृष्ठ पर रिक्त स्थान पर किया जाता है ताकि चैक पर लिखावट न कटे ।
(6) रेखांकन कोई भी व्यक्ति कर सकता है किन्तु रेखाकन की समाप्ति केवल लेखक द्वारा ही संभव है अन्य किसी भी व्यक्ति द्वारा नहीं।
रेखांकन के प्रकार
(Types of Crossing) चैक अथवा ड्राफ्ट पर रेखांकन दो प्रकार से किया जा सकता है—
- (A) सामान्य रेखांकन (General Crossing)
- (B) विशेष रेखांकन (Special Crossing)।
(A) सामान्य रेखांकन (General Crossing) –
अधिनियम की धारा 123 के अनुसार जब किसी चैक के मुखपृष्ठ पर दो समानान्तर तिरछी रेखाएँ खींची गई हों तथा उनके बीच में “एण्ड कम्पनी” अथवा “Not Negotiable” आदि शब्द लिखे हों अथवा न हों तो ऐसे रेखांकन को सामान्य रेखांकन कहा जाता है। सामान्य रेखांकन के कुछ नमूने अग्र प्रकार हैं-
सामान्य रेखांकन का प्रभाव (Effect of General Crossing) – अधिनियम की धारा 126 के अनुसार ऐसे रेखांकित चैक का भुगतान बैंक की खिड़की पर न होकर किसी बैंक के माध्यम से खाते में जमा द्वारा ही हो सकता है। यदि रेखांकित चैक भुगतान के लिये बैंक की खिड़की पर प्रस्तुत किया जाता है तो उसका खिड़की पर भुगतान देने की व्यवस्था नहीं है।
ऐसे चैक का भुगतान प्राप्त करने के लिये लेनदार या तो चैक को देनदार बैंक में अपने खाते में जमा करवा दे और अगर देनदार बैंक में उसका खाता न हो तो जिस बैंक में खाता हो उसे संग्रह (collection) के लिये दे दे। स्पष्ट है कि रेखांकित चैक का भुगतान बैंक में खाते में जमा द्वारा ही संभव है। उसका भुगतान बैंक की खिड़की पर नकद में नहीं हो सकता।
(B) विशेष रेखांकन (Special Crossing) –
विनिमय साध्य विलेख अधिनियम की धारा 124 के अनुसार “जब किसी चैक के मुख-पृष्ठ पर खीची गई समानान्तर तिरछी रेखाओं के बीच किसी बैंक का नाम लिख दिया जाता है। चाहे उसके साथ कोई अन्य शब्द ‘& Co. ‘, ‘Not Negotiable’, अथवा अन्य कोई संक्षिप्त रूप लिखे गये हों अथवा नहीं तो ऐसा रेखांकन विशेष रेखांकन (Special Crossing) समझा जायेगा और लिखित बैंक के नाम रेखांकित माना जायेगा। “
विशेष रेखांकन की विशेषताएँ-
(1) विशेष रेखांकन भी चैक के मुख-पृष्ठ पर दो समानान्तर तिरछी रेखाएँ खीच कर किया जाता है।
(2) किसी बैंक विशेष का नाम इन समानान्तर रेखाओं के बीच में लिखा होता है बैंक विशेष का नाम होना अनिवार्य है।
(3) ऐसे चैक का भुगतान उस बैंक विशेष के माध्यम से ही संभव है जिसका नाम रेखांकन में लिखा गया है। अन्य बैंक के द्वारा नहीं।
(4) विशेष रेखांकन में ‘एण्ड कम्पनी’, ‘Not Negotiable’ आदि शब्द लिखे जावे अथवा नहीं, रेखांकन को प्रभावित नहीं करता ।
(5) विशेष रेखांकन में केवल बैंक का नाम लिखना जरूरी है चाहे दो आड़ी या तिरछी रेखाएँ खिची हों अथवा न हों। दो रेखाएँ खींचना ऐसे रेखांकन में अनिवार्य नहीं है—केवल परम्परा के कारण ऐसा किया जाता है।
विशेष रेखांकन का प्रभाव (Effect of special crossing)
विशेष रेखांकन के कारण बैंक का नाम लिखना अनिवार्य होने से उस चैक का भुगतान केवल उस बैंक विशेष के माध्यम से ही संभव है अतः चैक का भुगतान और अधिक सुरक्षित हो जाता है। संग्राहक बैंक (Collecting Bank) का यह दायित्व है कि वह चैक का भुगतान केवल वास्तविक धारक के लिये ही प्राप्त करे और देनदार बैंक का भी कर्तव्य है कि वह उसी बैंक विशेष को भुगतान करे जिसका नाम विशेष रेखांकन में लिखा हो। अन्य बैंक द्वारा संग्रहण में मना किया जा सकता है।
दोहरा रेखांकन (Double Crossing)-
जब किसी चैक पर एक से अधिक बैंकों का नाम लिखकर विशेष रेखांकित किया जाता है तो अधिनियम की धारा 127 के अनुसार ऐसा विशेष रेखांकित चैक अवैध माना जाता है। अतः अधिनियम की धारा 125 के अनुसार विशेष रेखांकन में अंकित बैंक अगर चैक का संग्रहण करने के लिये अपने एजेन्ट के रूप में दूसरे बैंक के नाम पुनः रेखांकित करता है तो ऐसा स्पष्ट रूप में लिखा होने पर दूसरे बैंक के नाम किया दोहरा रेखांकन वैध माना जाता है। है
अतः जब किसी चैक पर विशेष रेखांकन में किसी बैंक विशेष का नाम लिखा हो और वही बैंक उस विशेष रेखांकित चैक को संग्रहण हेतु किसी अन्य बैंक को एजेन्ट के रूप में संग्रहण करने के लिये दोबारा रेखांकन कर देता है। ऐसा रेखांकन दोहरा-रेखांकन (double crossing) कहलाता है, उदाहरणार्थ- इसमें UCO Bank के नाम विशेष रेखांकित चैक में यूको बैंक ने चैक के संग्रहण हेतु बैंक ऑफ बड़ौदा को अपने एजेन्ट के रूप में पुनः रेखांकित किया है अतः ऐसा दोहरा रेखाकन अधिनियम की धारा 125 के अनुसार वैध है|
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