भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन : Bharat me Uropiyo Ka Aagman

भारतीय स्वतंत्रता के लिए प्रथम युद्ध के बाद, ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटिश राज की स्थापना के लिए प्रशासन को अपने हाथ में ले लिया भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन : bharat me uropiyo ka aagman ब्रिटिश राज 1858 और 1947 के बीच भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश शासन की अवधि थी | 

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Bharat me uropiyo ka aagman
भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन

 

 

भारत में यूरोपीय वाणिज्यिक कम्पनियों का आगमन (Bharat Me Uropiyo Ka Aagman ) :

 

> 17 मई, 1498 ई. में वास्को-डि-गामा ने भारत के पश्चिमी तट पर स्थित कालाकट बंदरगाहगाह पहुंचकर भारत एवं यूरोप के बीच नए समुद्री मार्ग की खोज की। इस यात्रा में वास्को-डि-न्गामा को भारतीय व्यवसायी अब्दुल मजीद ने सहयोग किया था। 

 

> 1505 ई. में फ्रांसिस्को द अल्मेडा India में प्रथम पुर्तगाली Viceroy बनकर आया।

 

> 1509 ई. मेंस अल्फाओ द अल्बुकर्क भारत में पुर्तगालियों का वायसराय बना। यह 1510 ई. बीजापुर के पुसुफ आदिल शाह से गोवा को जीता।

 

> पुर्तगालियों ने अपनी पहली वाणिज्यिक कोटी कोचीन में खोली। 

 

> दक्षिण-पूर्वी तट पर पुर्तगालियों का एक मात्र बैठा मन-योमे था। 

 

> पुर्तगालियों के बाद भारत में इच लोग आए। पहला डच यात्री कार्नेलियन हौटमैन (कॉर्नेलिस डी हाउटमैन) 1596 ई. में भारत के पूर्व सुमात्रा पंहुचा |

 

> डचों ने भारत में अपनी पहली वाणिज्यिक कोठी (फैक्ट्री) 1605 ई. मसूलीपट्टम में स्थापित की डचो की दूसरी वाणिज्यिक कोठी पुलिकत मे स्थापित हुई जहा उन्होंने अपने स्वर्ण सिक्कों को डाला और पुलिकत को ही पूरी गतिविधियों का केंद्र बनाया |

 

> डचों ने भारत में प्रथम बार industrial salaried रखे। 

 

> इच्चों का भारत में अन्तिम रूप से पतन 1759 ई. को अंग्रेजों एवं ? डच्चों के मध्य हुए वेदरा युद्ध से हुआ। 

 

> 31 दिसम्बर, 1600 ई. को इंग्लैंड की रानी एडिजाबेथ प्रथम ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को अधिकार पत्र प्रदान किया। > प्रारंभ में ईस्ट इंडिया कम्पनी में 217 साझीदार थे और पहला गवर्नर टॉमस स्मिथ था।

 

> मुगल दरबार में जाने वाला प्रथम english captain hawkins था, जो james प्रथम के राजदूत के रूप में अप्रैल 1609 ई. में जहाँगीर के दरबार में pahucha था।

 

 

नोट: भारत आने वाला पहला अंग्रेजी जहाज रेड हैरान था। > 1611 ई. में द. पू. समुद्रतट पर सर्वप्रथम अंग्रेजों ने मसूलीपट्ट में व्यापारिक कोठी की स्थापना की।

 

> जहाँगीर ने 1613 ई. में एक फरमान जारी कर अंग्रेजों को सूरत में थॉमस एल्डवर्थ (Thomas Aldworth) के अधीन व्यापारिक कोठी (फैक्ट्री) खोलने की इजाजत दी।

 

> 1615 ई. में सम्राट जेम्स-1 ने ‘सर टॉमस रो को अपना राजदूत बनाकर मुगल सम्राट जहाँगीर के दरबार में भेजा। रो फरवरी 1619 ई. तक भारत में रहा। से जहाँगीर एवं खुर्रम (शाहजहाँ) से अंग्रेजों के लिए कुछ व्यापारिक छूट प्राप्त करने में सफल हुआ।

 

> 1632 ई. में गोलकुण्डा के सुल्तान ने अंग्रेजों को एक सुनहला फरमान (Golden Farman) दिया जिसके अनुसार अंग्रेज सुल्तान को 500 पैगोडा वार्षिक कर देकर गोलकुण्डा राज्य के बन्दरगाह पर स्वतंत्रतापूर्वक व्यापार कर सकते थे।

 

> 1639 ई. में अंग्रेज फ्रांसिस डे ने चन्द्रगिरि के राजा से उच्चाधिकार पर लिया और उसी समय एक किलाबन्द कोठी का निर्माण किया: इस कोठी का नाम फोर्ड सेंट जार्ज पड़ा और यही फोर्ड सेंट जार्ज कालान्तर में कोरोमंडल तट पर अंग्रेजी मुख्यालय बना।

 

> 1661 ई. में पुर्तगाली राजकुमारी ‘कैथरीन ऑफ ब्रेगेंजा (कैथरीन ऑफ ब्रगेंजा) और ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स द्वितीय’ का विवाह हुआ। इस अवसर पर दहेज के रूप में पुर्तगालियों ने चार्ल्स-द्वितीय को बंबी प्रदान किया।

 

> 1668 ई. चार्ल्स-II ने बंबई को 10 पाउंड का वार्षिक किराया ईस्ट इंडिया को दिया। > 1687 ई. अंग्रेजों ने पश्चिमी तट का मुख्यालय सूरत से हटा कर बंबई को बनाया।

 

> बंगाल के शासक Shah Shuja ने सर्वप्रथम 1651 ई. अंग्रेजों को business discount की अनुमति दी गई। इसे अनुमति को निशान कहते हैं। 

 

> 1698 ई. अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी ने तीन गांव-सूतानुती , कालीकट एवं गोविन्दपुर की जमींदारी 1200 रुपये भुगतान कर प्राप्त की और यहां पर किले विलियम का निर्माण किया। चार्ल्स आयर फोर्ट विलियम के प्रथम राष्ट्रपति। कालांतर में यही कलकत्ता (कोलकाता) नगर कहलाया, जिसका छाया जॉर्ज चारनौक ने रखी । 

 

> भारत में फ्रांसीसियों की पहली कोठी फ्रेंको कारों के द्वारा 1668 ई. में स्थापित करें।

> 1674 ई. फ्रांसीसी कंपनी के निदेशक क्विस मार्टिन ने बालिकोंडापुर के सूबेदार शेर खाँ लोदी से पुडुचेरी नामक एक गाँव प्राप्त किया, जो कालान्तर में पाण्डिचेरी के नाम से जाना गया।

 

> प्रथम कर्नाटक युद्ध 1746-48 ई. में आस्ट्रिया के उत्तराधिकार युद्ध से प्रभावित हुआ था। 1748 ई. में हुई ए-ला-शापल की संधि के द्वारा austrian succession war over हो गया और इसी संधि के तहत प्रथम कर्नाटक war over हुआ।

 

> दूसरा कर्नाटक युद्ध 1749-1754 ई. में हुआ। इस युद्ध में फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले की हार हुई। उसे वापस बुला लिया गया और उसकी जगह पर गोडेह को भारत में अगला फ्रांसीसी गवर्नर बनाया गया।

 

 > कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756-1763 ई. के बीच हुआ जो 1756 ई. में शुरू हुए सप्तवर्षीय युद्ध का ही एक अंश था। पेरिस की संधि होने पर यह युद्ध समाप्त हुआ। 

 

> 1760 ई. में अंग्रेजी सेना ने सर आयरकूट के नेतृत्व में विश की लड़ाई में फ्रांसीसियों को बुरी तरह हराया। 

 

> 1761 ई. में अंग्रेजों ने Pondicherry कोthe french से छीन लिया। 

 

> 1763 ई. में हुई paris treaty संधि के द्वारा अंग्रेजों ने Chandranagar को छोड़कर  शेष अन्य प्रदेशों को लौटा दिया, जो 1749 ई. तकfrench occupation में थे, ये भारत की आजादी तक french occupation में रहे।

 

 

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