Bata Shoes Success Story In Hindi
दोस्तों हम सभी को पता है कि जिसने लाइफ को खुलकर जीया उसे मुकाम भी मिले और खुशियां भी। और जो सोचता रह गया वो तो बस सोचता ही रह गया। हो सकता है कि आपने किसी मंजिल के लिए सफर शुरू तो किया हो, लेकिन बीच रास्ते में ही आपका सामना बहुत सारी मुश्किलों से हो गया हो। ऐसे में शायद आप वापिस लौटने की सोच रहे होंगे। है न।
लेकिन मैं कहूंगा कि बीच रास्ते से वापिस आने से पहले आप एक ऐसी सक्सेस स्टोरी सुनिए जो आपको बताएगी कि जब मंजिल का सफर शुरू कर ही दिया है तो पीछे मुड़ने की क्या जरूरत? और ये Bata Shoes Success Story In Hindi है एक ऐसे ब्रांड की जो बिल्कुल अपना सा लगता है भले ही हम इसे पैरों में पहनते हैं लेकिन ये हमारे दिलो पर राज करता है तो आप तो समझ ही गए होंगे कि मैं किसकी बात कर रहा हूं। जी हां, दोस्तो मैं बात कर रहा हूं।
दुनिया के जाने माने फुटवियर ब्रैंड बाटा की जिसकी सफलता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि एक समय ऐसा भी था कि जूते का मतलब ही बाटा हुआ करता था। लेकिन पैरों से हमारे दिलों पर राज करने वाले बाटा ब्रांड का सफर इतना आसान नहीं था। इसकी शुरूआत एक मोची के घर से हुई थी। और फिर मेहनत, लगन और अच्छी सोच के दम पर थॉमस बाटा ने इसे पूरी दुनिया पर राज करने वाला फुटवियर ब्रांड बना दिया। तो चलिए दोस्तों इस ब्रैंड की सक्सेस स्टोरी को हम शुरू से डिटेल में जानते हैं। तो कहानी की शुरूआत होती है।
बाटा कंपनी की शुरुआत कैसे हुई?
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Bata Shoes Success Story In Hindi |
साल 1894 से जब चेकोस्लोवाकिया 21 September 1894, Zlín, Czechia के शहर जनीन में टॉमस बाटा ने अपने भाई एंटोनी और बहन एना के साथ मिल कर जूते बनाने की शुरूआत की और इस कंपनी में उन्होंने 10 इम्प्लाई भी रखे। हालांकि टॉमस का यह काम नया बिल्कुल भी नहीं था क्योंकि उनकी कई पीढ़ियां मोची का काम करती चली आ रही थी। लेकिन अपने इस हुनर को इतने बड़े स्तर पर आजमाने का रिस्क केवल टॉमस बाटा नहीं लिया। लेकिन दोस्तो किसी भी काम की शुरूआत अक्सर अपने साथ बहुत सारी मुश्किलें लेकर आती है और ऐसा ही बाटा के हमले के साथ भी हुआ।
Bata कैसे पोपुलर हुई ?
जब कंपनी स्टैबलिश करने के अगले ही साल टॉमस को पैसे की कमी का सामना करना पड़ा और कर्ज में डूबे टॉमस ने लेदर की बजाय कैनवस से जूते बनाने का फैसला किया, लेकिन उनके इस फैसले ने एक नए आइडिया को जन्म दिया और कैनवस सस्ता होने की वजह से उनके बनाए गए जूते बहुत तेजी से पॉपुलर होने लगे। इसके बाद कंपनी की भी ग्रोथ बढ़ती चली गई।
कुछ साल बाद 1904 में टॉमस अमेरिका गए और ये सीखकर आए कि वहां पर बहुत सारे जूतों को एक साथ बनाने का कौन सा तरीका अपनाया जाता है और फिर उस तकनीक को अपनाते हुए उन्होंने अपना प्रोडक्शन पहले से कहीं ज्यादा कर ली। फिर उन्होंने ऑफिशियल लोगो के लिए पार्टी के नाम का एक जूता बनाया और इस जूते को इसकी सिम्पल सिटी स्टाइल, लाइट, वेट और प्राइस के लिए काफी पसंद किया गया और इसकी पॉपुलैरिटी ने बाटा कंपनी की ग्रोथ काफी हद तक बढ़ा दी।
लेकिन आगे चलकर टॉमस के भाई एंटोनी की मृत्यु हो गई और उनकी बहन भी शादी करके चली गई, जिसे अब वे अकेले पड़ गए। लेकिन थॉमस बिना रूके चलते रहने का इरादा रखने वालों में से एक थे।
उन्होंने अपने छोटे भाईयों को बिजनेस में शामिल कर लिया और किसी भी प्रॉब्लम्स को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और साल 1912 आते आते बाटा के प्राइज़ की संख्या लगभग 600 से ज्यादा हो चुकी थी।
World War मे Bata की Success कैसे हुई ?
1914 में जब पहला वर्ल्ड वॉर शुरू हुआ तो क्वालिटी और कम्फर्ट के लिए पहचानी जाने वाली इस कंपनी को सेना के लिए जूते बनाने का बहुत बड़ा आर्डर मिला और 1918 तक चले इस वर्ल्ड वॉर के दौरान आर्डर को टाइम पर पूरा करने के लिए बाटा कंपनी में प्राइज की संख्या 10 गुना बढ़ा दी गई और इस कंपनी ने बहुत से शहरों में अपने स्टोर्स भी खोल लिए।
दोस्तो, टॉमस बाटा के साथ अब तक सबकुछ बहुत अच्छा चल रहा था, लेकिन वर्ल्ड वार खत्म होने के बाद जबरजस्त मंदी का दौर आया जो बाटा शू कंपनी के लिए भी बहुत बड़ी प्रॉब्लम लेकर आया। लेकिन इस बार भी टॉमस ने इन प्रॉब्लम्स को बहुत अच्छी तरीके से हैंडल किया और कंपनी के लिए एक रिस्की फैसला लिया। उन्होंने किया कुछ यूं कि बाटा से उसकी प्राइस आधी कर दी और फिर कंपनी के वर्कर्स ने भी उनका बखूबी साथ दिया और अपनी तनख्वाह में 40 पर्सेंट की कटौती करने को तैयार हो गए। और कहते हैं ना कि बिजनेस असल में टीमवर्क होता है।
अगर आपकी टीम आपके साथ है तो कोई भी प्रॉब्लम आप पर हावी नहीं हो सकता और बहुत ही जल्द आप रेट के लिए और टीम वर्क ने ऐसा कमाल कर दिखाया कि मंदी के दौर में बाकी सारी कंपनीज अपना बिजनेस बंद करने की कगार पर थीं। वही बाटा शू कंपनी को सस्ते और कंफर्टेबल जूते बनाने के ढेरों ऑर्डर्स मिलने लगे।
बस यहां से टॉमस और उनकी कंपनी बाटा ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और धीरे धीरे वो दुनिया की सबसे बड़ी फुटवियर ब्रांड बन गए और मौजूदा समय में बाटा 70 से भी ज्यादा देशों में अपनी पहचान बना चुका है और अगर विश्व कंपनी की हेड क्वाटर की बात करें तो वह स्विट्जरलैंड में मौजूद है। दोस्तों इस सक्सेसफुल ब्रैंड को बनाने वाले टॉमस बाटा ने 1932 में ही दुनिया को अलविदा तो कह दिया, लेकिन उनकी जिंदगी ने हमें बहुत कुछ सिखा दिया है |
Bata Shoes Success Story निष्कर्ष ( Conclusion )
मुझे उम्मीद है कि आप इस स्टोरी को देखने के बाद अपने सफर को बीच में छोड़ने का इरादा भी छोड़ चुके होंगे। और किसी ने सच ही कहा है जो बीच राह में बैठ गए वो बैठे ही रह जाते हैं जो लगातार चलते रहते हैं। निश्चय ही मंजिल पाते हैं। आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। इस आर्टिकल को शेयर करके आप हमारा मनोबल बढ़ा सकते हैं। दोस्तों अगर आप हमारा ये आर्टिकल पसंद आया और एसी कहानिया मिस नहीं करना चाहते तो कृपया नोतिफ़िकतिओन बेल को allow करे । आपको ये कहानी कैसी लगी, हमें कमेंट करके जरूर बताएं। धन्यवाद।
FAQ :
Q 1. Bata का मालिक कौन है?
Ans. टॉमस बाटा
Q 2. बाटा कंपनी की शुरुआत कैसे हुई?
Ans. साल 1894 से जब चेकोस्लोवाकिया 21 September 1894, Zlín, Czechia के शहर जनीन में टॉमस बाटा ने अपने भाई एंटोनी और बहन एना के साथ मिल कर जूते बनाने की शुरूआत की और इस कंपनी में उन्होंने 10 इम्प्लाई भी रखे।
Q 3. बाटा की स्थापना कब हुई थी?
Ans. 21 September 1894, Zlín, Czechia के शहर जनीन में टॉमस बाटा ने अपने भाई एंटोनी और बहन एना के साथ मिल कर जूते बनाने की शुरूआत की |
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