बैंक में खाता कैसे खोले
बैंक में खाता खोलने की सामान्य प्रक्रिया
(General Procedure of Opening a Bank Account)
बैंक जब किसी ग्राहक का खाता खोलता है तो इसका आशय है कि बैंक व पाहक के मध्य सम्बन्ध स्थापित हो गया है। इससे बैंक पर दायित्व आता है। इसलिये बैंक किसी का भी खाता खोलने से पहले अपने द्वारा पूर्व में निर्धारित की गई सामान्य प्रक्रिया को अपनाता है जिससे भविष्य में आने वाली सामान्य एवं कानूनी बाधाओं से बचा जा सके। इसमें निम्न कदम उठाये जाते हैं-
(1) योग्य व्यक्ति –
कोई भी ऐसा व्यक्ति या पक्ष बैंक में खाता खोलने का अधिकारी है, जो अनुबन्ध करने के योग्य हो। अनुबन्ध करने के योग्य व्यक्ति, उस व्यक्ति को समझा जाता है जो स्वस्थ मस्तिष्क का है, वयस्क है तथा किसी भी कानून के अन्तर्गत अनुबन्ध करने के लिये अयोग्य घोषित नहीं किया गया हो।
(2) आवेदन पत्र (Application Form ) –
बैंक में जो व्यक्ति खाता खोलना चाहता है उसे उस बैंक के द्वारा निर्धारित प्रपत्र में ही आवेदन करना होता है।
पिछले कुछ वर्षो से बैंकों ने आवेदन पत्र पर ग्राहक का छायाचित्र लगाना भी अनिवार्य कर दिया है। बैंकों ने यह निर्णय घाय समिति की सिफारिश के आधार पर। जनवरी, 1994 से लागू किया है ताकि बैंक धोखायड़ी एवं जालसाजी से बच सके। आवेदन पत्र के पृष्ठ भाग पर खाता खोलने के नियम लिखे होते हैं। बैंक ग्राहकों से यह अपेक्षा करता है कि वे खाता खोलने का आवेदन पत्र भर कर प्रस्तुत करने से पूर्व इन नियमों को पद एवं भलीभाँति समझ लें।
(3) सन्दर्भ (Reference)-
खाता खोलते समय खाता खोलने वाले व्यक्ति के लिये यह आवश्यक है कि प्रार्थना पत्र में ऐसे व्यक्ति का नाम सन्दर्भ में लिखे जिसे बैंक पहले से जानता हो या उसका खाता बैंक में पहले से हो। यदि बैंक उस सन्दर्भित व्यक्ति से सन्तुष्ट नहीं होता है तो खाता खोलने से मना कर सकता है या सन्दर्भ हेतु अन्य व्यक्ति का नाम देने के लिये कह सकता है।
कम्पनी, रजिस्टर्ड फर्म आदि की स्थिति में खाता खुलाते समय सन्दर्भ की आवश्यकता नहीं होती। सन्दर्भ देने वाले व्यक्ति का यह दायित्व बनता है कि वह खाता खोलने वाले व्यक्ति को अच्छी तरह से जानता है, तथा उसका चरित्र सन्देह से परे है।
इस सम्बन्ध में बैंक को खाता खोलने से पूर्व समुचित परिचय प्राप्त कर लेना चाहिये। इस सम्बन्ध में इण्डियन बैंक बनाम केथोलिक सीरियन बैंक के विवाद में मद्रास हाईकोर्ट ने एक निर्णय में बैंक को दोषी ठहराया था क्योंकि बैंक ने ग्राहक का समुचित परिचय व सही तथ्यों की जानकारी नहीं की थी।
बैंक के लिये परिचय का महत्त्व (Importance of Introduction or Reference for Bank)
परिचय बैंकर को भविष्य में जोखिम से सुरक्षा प्रदान करता है। इसके अभाव में बैंकर को निम्न जोखिम उठानी पड़ –
(i) ओवरड्राफ्ट को स्थिति में बैंक को हानि उठानी पड़ सकती है।
(ii) व्यक्ति द्वारा जाली चेक जारी करके जनता को धोखा देने का सन्देह रहता है।
(iii) बैंक द्वारा बिना समुचित परिचय के खाता खोलना असावधानी का दोषी माना जाता है। भारतीय विनिमय साध्य विलेख अधिनियम की धारा 131 के तहत बैंक को संरक्षण प्राप्त नहीं होगा।
(iv) समुचित परिचय के अभाव में ऐसा माहक बैंक को धोखा दे सकता है।
(v) अविमुक्त दिवालिया व्यक्ति का खाता न्यायालय की पूर्व अनुमति के बिना नहीं खोला जा सकता है। समुचित परिचय के अभाव में ऐसे व्यक्ति का खाता खोलने पर सम्पूर्ण दायित्व बैंक का हो जाता है।
सन्दर्भ देने वाले व्यक्ति का दायित्व – सन्दर्भित व्यक्ति जिसका परिचय बैंकर से कराता है उसके कानूनी एवं नैतिक दोनों दायित्व है कि वह ऐसे व्यक्ति का परिचय ही बैंक को दे जिसे वह भलीभांति जानता हो। बैंकर को यह ध्यान रखना चाहिये कि सन्दर्भ देने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर अपने समक्ष कराये।
(4) नमूने के हस्ताक्षर व आवश्यक प्रपत्र प्रस्तुत करना –
आवेदन पत्र में निर्दिष्ट स्थान पर बैंक द्वारा चाहे गये नमूने के हस्ताक्षर प्रस्तुत करने होते हैं। ये हस्ताक्षर बैंक के समकक्ष अधिकारी के सम्मुख ही करने होते हैं। इसके साथ ही अपनी संस्था के सम्बन्धित आवश्यक दस्तावेज की प्रमाणित फोटो प्रतियाँ भी संलग्न करनी होती हैं। बैंक के लिये यह सभी रिकार्ड के रूप में काम में आते हैं।
(5) खाता खोलना —
उपरोक्त सभी कार्यवाही पूरी होने से सन्तुष्ट होने पर बैंक अधिकारी उस व्यक्ति का खाता अपने बैंक में खोलता है। इसके लिये ग्राहक से कुछ राशि अपने खाते में जमा कराने के लिये कहता है।
बैंक अधिकारी ऐसे व्यक्ति को खाता खोलने के साथ ही
- (i) पास बुक,
- (ii) चैक बुक (मांगने पर)
- (iii) जमा पर्ची पुस्तिका (Pay in Slip) जारी कर देता है।
इसके पश्चात् ही ग्राहक अपने खाते का संचालन कर सकता है |
खातों के संचालन की सामान्य प्रक्रिया (General Procedure to operate an Account)
खातों के संचालन से तात्पर्य है कि बैंक में अपने खाते में राशि जमा कराना या निकालना। ग्राहक के पास राशि है, वह बैंक में जमा कराता है तथा राशि की आवश्यकता होने पर राशि खाते से निकालता है। माहक बैंक से अपने खाते के सम्बन्ध में जो भी लेनदेन करता है, उसके लिये उसे बैंक की छपी हुई पर्ची या प्रपत्र को काम में लेना होता है। इनका विवरण इस प्रकार है-
(1) जमा पर्ची पुस्तिका (Pay-in-Slip)
ग्राहक अपने खाते (चालू या बचत खाता) में जब भी कोई राशि नकद, चैक या ड्राफ्ट जमा कराता है तो उसे जमा पर्ची भरनी होती है। इस पर्ची में दिनांक, खाता संख्या, पृष्ठ संख्या, नाम राशि या प्रलेख का विवरण, रकम आदि लिखकर अपने हस्ताक्षर करने होते हैं। इस पर्ची को सम्बन्धित प्रपत्र या राशि के साथ बैंक के काउन्टर पर देना होता है। यह जमापर्ची पर्ण व प्रतिपर्ण दो भागों में होती है। प्राप्तकर्ता लिपिक प्रतिपर्ण पर अपने हस्ताक्षर व बैंक की मोहर लगाकर ग्राहक को देता है। बैंकों में बचत खातों व चालू खातों में राशि जमा करने के लिये अलग-अलग रंग की पर्चियाँ काम में ली जाती हैं। चालू खाते वाले ग्राहक को प्रायः 50 या 100 पर्ची की संख्या वाली पुस्तिका जारी कर दी जाती है, जबकि बचत खाते वालों को पर्ची-पुस्तिका बारी नहीं की जाती है। बैंक काउण्टर पर ही ये उपलब्ध होती हैं।
(2) निकासी पत्र (Withdrawal Form ) –
ग्राहक अपने बचत खाते में से राशि निकालने के लिये निकासी पत्र का उपयोग कर सकता है। ये प्रपत्र प्रत्येक बैंक में काउन्टर पर उपलब्ध होते हैं। इस प्रपत्र का उपयोग प्राहक स्वयं के द्वारा राशि निकालने पर ही किया जा सकता है अर्थात् तीसरे पक्ष को भुगतान कराने के लिये इसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। माहक को जब भी राशि निकालनी हो, बैंक काउन्टर पर यह निकासी पत्र भरकर पास बुक के साथ प्रस्तुत करना होता है। पास बुक के अभाव में बैंक ग्राहकों को इस पत्र के माध्यम से भुगतान करने से मना कर सकता है।
सम्बन्धित सक्षम अधिकारी निकासी पत्र पर किये हुए हस्ताक्षर का मिलान नमूना हस्ताक्षर से करके ग्राहक को राशि भुगतान करने के आदेश स्वरूप इस पर अपने हस्ताक्षर कर देता है, जिसके आधार पर रोकड़िया ग्राहक को राशि का भुगतान करता है।
(3) चैक बुक (Cheque Book) –
बैंक अपने चालू खाते व बचत खाते दोनों प्रकार के ग्राहकों को चैक बुक की सुविधा उपलब्ध कराता है; लेकिन चैक बुक की सुविधा प्राप्त करने के लिये ग्राहक को एक निश्चित न्यूनतम राशि हमेशा अपने खाते में शेष रखनी होती है। बैंक इसके अन्तर्गत ग्राहक द्वारा मांगने पर 10 या 20 चैक वाली चैक बुक जारी करता है। ग्राहक द्वारा जिसे भी भुगतान करना होता है, उसे चैक भर कर दे दिया जाता है। तीसरा पक्ष चैक को बैंक काउन्टर पर जमा पर्ची के साथ जमा कराता है जिसे सक्षम अधिकारी । नमूना हस्ताक्षर से हस्ताक्षर का मिलान करके भुगतान के आदेश स्वरूप उस पर अपने हस्ताक्षर करता है। यदि चैक पर किये गये हस्ताक्षर नमूना हस्ताक्षर से मिलान नहीं खाते हैं या चैक में किसी प्रकार की कोई कमी होने या काट-फॉस पर हस्ताक्षर न होने पर भुगतान करने से मना कर सकता है। चैक बुक में चैकों के साथ एक मांग पर्ची (Requisition Slip) भी होती है। ग्राहक इस पर्ची को भर कर नयी चैक बुक जारी करने की बैंक से मांग करता है व बैंक इस आधार पर नई चैक बुक ग्राहक को निर्गमित कर देता है।
(4) पास बुक (Pass Book ) –
बैंक प्रत्येक ग्राहक को खाता खोलने के साथ ही एक छोटी पुस्तिका देता है जिसे पास बुक कहा जाता है जिसमें उस ग्राहक के खाते से सम्बन्धित अधिकृत विवरण दिया हुआ होता है। इसमें प्रत्येक व्यवहार (राशि जमा कराना, निकालना, ब्याज आदि) का लेखा किया जाता है तथा प्रत्येक व्यवहार के पश्चात् ग्राहक के खाते में कितनी राशि का शेष है, यह भी लिखा जाता है। इससे ग्राहक को अगला भुगतान प्राप्त करने में सुविधा रहती है। पास बुक वास्तव में माहक के खाते की प्रतिलिपि है जो महक के पास ही रहती है तथा ग्राहक जिसे समय-समय पर बैंक काउन्टर पर प्रस्तुत कर प्रविष्टियों करवाता रहता है। इस दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसे ग्राहकों को बहुत ही सावधानी से रखना चाहिये।
बैंक में खाते के प्रकार (Types of Bank Accounts in India )
बैंक में अनेक प्रकार के खाते अलग-अलग उद्देश्यानुसार खुलाये जा सकते हैं। इनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं-
I. सावधि जमा खाता (Fixed Deposit Account) –
सावधि जमा खाता बैंक में खोला जाने वाला ऐसा खाता है जिसमें ग्राहकों को उनके द्वारा जमा करायी रकम का भुगतान किसी निश्चित अवधि के समाप्त होने पर ही किया जाता है। सुरक्षा एवं आय (ब्याज) की दृष्टि से यह खाता अन्य खातों की तुलना में सर्वश्रेष्ठ समझा जाता है। इसमें वे ही व्यक्ति राशि जमा कर सकते हैं जो एकमुश्त राशि निर्धारित अवधि के लिये बैंक में रखने की क्षमता व इच्छाशक्ति रखते हों।
II. चालू खाता (Current Account) –
बैंक द्वारा ग्राहकों के आग्रह पर ग्राहकों के नाम खोला गया ऐसा खाता है जिसमें किसी भी कार्य-दिवस को ग्राहक अनेक बार लेन-देन कर सकता है। इसके अन्तर्गत राशि का भुगतान ग्राहक के मांगने पर किया जाता छोटी-छ है। इसीलिये बैंक इस खाते में जमा राशि पर ब्याज का भुगतान नहीं करता है। यह खाता प्रायः व्यापारिक एवं औद्योगिक संस्थाओं व व्यक्तियों द्वारा खोला जाता है।
III. बचत बैंक खाता (Saving Bank Account) –
अल्प एवं मध्यम आय वर्ग वाले व्यक्तियों के लिये यह खाता बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से व्यक्ति छोटी-छोटी राशि बचत करके जमा करा सकता है तथा आवश्यकता होने पर वापिस निकाल सकता है । प्रायः नौकरीपेशा व कामगार लोग इस खाते को खोलना ज्यादा पसन्द करते हैं। वर्तमान में बैंकों की दृष्टि से यह खाता बहुत ज्यादा उपयोगी सिद्ध हो रहा है। इससे बैंकों को करोड़ों रुपये की जमायें न्यूनतम ब्याज पर उपलब्ध हो रही हैं।
IV. आवर्ती जमा खाता (Recurring Deposit Account) –
इस खाते को संचयी जमा खाता भी कहा जाता है। यह खाता उन जमाकर्ताओं के लिये उपयुक्त है जो छोटी-छोटी लगातार बचत के माध्यम से एकमुश्त राशि जमा करना चाहते हैं। इस खाते के अन्तर्गत ग्राहकों को प्रत्येक माह एक सावधि जमा राशि-5 रुपये के गुणांक में खाते में जमा करानी होती है। यह राशि सावधि अवधि के पश्चात् ब्याज सहित माहक को भुगतान कर देता है। इसमें अवधि व राशि का चयन माहक स्वयं करता है। ग्राहक प्रत्येक माह की किस्त की राशि उस माह की अन्तिम तिथि तक जमा करा सकता है। यदि ग्राहक किसी माह की किस्त चुकाने में चूक करता है तो उसे दण्डात्मक ब्याज (Panel Interest) का भुगतान की छो करना होता है। आवृत्ति जमा खाता की परिपक्वता की तिथि अन्तिम किस्त के भुगतान के बाद अथवा पूर्व निर्धारित देय तिथि, जो दोनों में से बाद में हो, को मानी जाती है। यदि कोई खाताधारी ग्राहक किन्हीं कारणों से अपना आवृत्ति जमा खाता बन्द करना चाहता है तो बैंक उसे खाते में जमा राशि पर ब्याज तभी देगा जबकि उस खाते में कम से कम तीन माह राशि समय पर जमा हुई हो।
एक वर्ष से अधिक अवधि तक राशि जमा होने पर उस अवधि के लिए निर्धारित दर से एक प्रतिशत कम दर से ब्याज दिया जावेगा।
हेल्लो दोस्तों मेरा नाम अर्जुन सिंह है. मै अभी बीकॉम से ग्रेजुएशन कर रहा हूं। मुझे वेबसाइट पर आर्टिकल लिखना और शेयर करना बहुत पसंद है। मुझे जितनी भी नॉलेज है वो आपके साथ हमेशा साझा करता रहूंगा। मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आपका धन्यवाद!